Mathura Clashes Inside Story How Protesters Went Violent

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मारा गया मथुरा में हुई हिंसा का मास्टरमाइंड, पुलिस जल्द कर सकती है एलान


आगरा/मथुरा. मथुरा के जवाहर बाग में हुई हिंसा के मास्टरमाइंड रामवृक्ष यादव के मारे जाने की खबरें आ रही हैं। पुलिस इस बारे में जल्द एलान कर सकती है। इस बीच जवाहर बाग से कब्जा हटाने आई पुलिस पर हमले के मामले में नए खुलासे हो रहे हैं। 270 एकड़ के इस इलाके पर खुद को सत्याग्रही बताने वाले स्वाधीन भारत सुभाष सेना (SBSS) के एक्टिविस्ट्स ने कब्जा कर रखा था। यादव ने अपने सपोर्टर्स से कहा था कि वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस से अगले 2 महीने में मुलाकात करेगा और उनके मिलते ही भारत का इतिहास बदल जाएगा। तब तक वे जवाहर बाग पर ही रुके रहें। दो महीने से खिचड़ी-दलिया खा रहे थे SBSS के मेंबर...

रामवृक्ष यादव (बीच में सफेद कुर्ते में) ही मथुरा में हुई हिंसा की अगुआई कर रहा था।

रामवृक्ष यादव (बीच में सफेद कुर्ते में) ही मथुरा में हुई हिंसा की अगुआई कर रहा था।

 
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बता दें कि मथुरा में पुलिस पर उपद्रवियों के हमले में एसपी और एसएचओ समेत 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।
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खुद को 'सत्याग्रही' कहने वाले SBSS के ये मेंबर घायल हैं। इनका एसएन मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है।
एसपी मुकुल द्विवेदी की मौत पर परिजन ने सीएम अखिलेश यादव पर आरोप लगाए हैं।एसपी मुकुल द्विवेदी की मौत पर परिजन ने सीएम अखिलेश यादव पर आरोप लगाए हैं।

एसपी मुकुल द्विवेदी की मौत पर परिजन ने सीएम अखिलेश यादव पर आरोप लगाए हैं।


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रामवृक्ष यादव के इन सपोर्टर्स के पास खाने के लिए न तो अनाज था, न सब्जियां और न ही दूध।
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ये लोग पिछले दो महीने से खिचड़ी-दलिया खाकर किसी तरह दिन गुजार रहे थे।
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इन लोगों से कहा गया कि जल्द ही नेताजी खुद आंदोलन की बागडोर संभालेंगे। इसके बाद जल्द ही भारत से जंगलराज खत्म हो जाएगा।
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ज्यादातर मेंबर्स को तो आंदोलन की आइडियोलॉजी के बारे में ही नहीं पता।
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साल के गोरखपुर के रहने वाले दयाशंकर के मुताबिक, "हम जय गुरुदेव को पिछले 30 साल से गेहूं और चावल देते चले आ रहे थे। बाद में रामवृक्ष यादव ने नया गुट बना लिया।"
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यादव ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि वह नेताजी को लोगों के सामने लाएगा। अगर वह ऐसा नहीं कर पाया तो उसे फांसी चढ़ा दें।"

दयाशंकर ने और क्या बताया?

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जय गुरुदेव के निधन के एक साल के बाद फॉलोअर्स ने उन्हें सुभाष चंद्र बोस बताना शुरू कर दिया। ये भी कहा कि वो जिंदा हैं।"
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रामवृक्ष यादव ने हमें यहीं बाड़े में तब तक रहने के लिए कहा, जब तक नेताजी लौटकर नहीं आ जाते।"
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पुलिस के मुताबिक, "3 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स ने जनवरी 2014 में सागर से संदेश यात्रा शुरू की। ये फॉलोअर्स लड़ाके ज्यादा लगते थे। इनका मकसद था- आजाद हिंद सरकार की स्थापना।"
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ये लोग ये भी चाहते थे कि देश में राष्ट्रपति और पीएम के चुनाव न हों। भारतीय करंसी को खत्म कर दिया जाए।"

देश के कई हिस्सों में गए आंदोलनकारी

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पुलिस की मानें तो ये आंदोलनकारी गुजरात, वेस्ट बंगाल, महारष्ट्र और ओडिशा में भी गए।
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आखिर में इन लोगों ने मथुरा के जवाहर बाग को अपना ठिकाना बना लिया।
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पुलिस का ये भी कहना है कि ज्यादातर फॉलोअर्स यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं।
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आंदोलनकारियों के मुताबिक, "रामवृक्ष यादव कभी-कभी ही उनसे मिलता था। लोगों को बाहरी दुनिया में घुलने-मिलने की इजाजत नहीं थी। लोगों को सुबह 3 बजे उठना पड़ता था। नहाना-पूजा-नाश्ते के बाद वे दिनभर आराम कर सकते थे। डिनर शाम 5 बजे ही हो जाता था।"

पेड़ों पर बैठे उपद्रवी पुलिस के सिर पर मार रहे थे गोली

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मथुरा के जवाहर बाग में अब जली गाड़ियां और पत्थर बिखरे हैं। वहां बड़ी तादाद में पुलिस के जवान तैनात हैं।
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रामवृक्ष की अगुआई में ये सत्याग्रही जवाहर बाग की जमीन पर कब्जा किए बैठे थे। कोर्ट के आदेश पर पुलिस जमीन खाली कराने गई थी। जवाब में सत्याग्रहियों ने बंदूकों और पत्थरों से हमला बोल दिया।
जवाहर बाग में सिक्युरिटी के लिहाज से चौकसी करती पुलिस।

जवाहर बाग में सिक्युरिटी के लिहाज से चौकसी करती पुलिस।


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कार्रवाई में शामिल पुलिसकर्मी ने बताया कि कल तो ऐसा लग रहा था मानो जंग छिड़ी हो। एसपी साहब बाग से लगी कॉलोनी के लोगों से बात कर रहे थे कि कुछ लोग उन्हें बाग के भीतर खींच ले गए।
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कुछ समझते, इससे पहले पेड़ पर चढ़े लोग फायरिंग करने लगे। बम फेंकने लगे। एसएचओ पर भी 20-25 लोगों ने लाठी-डंडों से हमला कर दिया।
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आला अफसरों को फौरन सूचना दी गई। पर न फोर्स आई और न जवाबी कार्रवाई का ऑर्डर। कहा गया- इंतजार करो।
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जब तक ऑर्डर आता, एसपी साहब और एसएचओ मर चुके थे। उपद्रवी कई और जवानों को मार गिराते यदि वहां आठ फीट की दीवार न होती।
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शाम 6 बजे फोर्स पहुंची। इसके बाद जवाबी कार्रवाई हुई। इसमें 22 उपद्रवी मारे गए।

यादव ने जवाहर बाग को छावनी बना लिया था

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जवाहर बाग को रामवृक्ष यादव ने छावनी में तब्दील कर लिया था।

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उसकी मर्जी के बिना कोई बाग में आ-जा नहीं सकता था। पुलिस भी नहीं।

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उसकी दहशत ऐसी थी कि बाग में मौजूद कई अफसर अपने दफ्तर और सरकारी घर छोड़कर चले गए थे।

उपद्रवियों ने गड्ढे में हथियार जमा कर रखे थे।

उपद्रवियों ने गड्ढे में हथियार जमा कर रखे थे।

  - जबकि यह जगह एक ओर पुलिस लाइन और एसपी ऑफिस और दूसरी ओर जज कॉलोनी से घिरी है।

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बाग का एन्ट्रेंस एसपी ऑफिस से जुड़ा है।

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स्थानीय निवासी हेम यादव ने बताया कि बाग के गेट पर तलवारधारी पहरा देते रहते थे। कॉलोनी के एक निवासी ने बताया कि अगर हम लोग छत पर जाते थे तो रामवृक्ष के लोग लाठी-डंडे, तलवार और पिस्टल दिखाते थे।

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एक अन्य निवासी ने बताया कि 50 महिलाएं सुबह-शाम खाना बनाती थीं। आठ बजे दिन की शुरुआत होती थी। इसमें वो 'संकल्प है शहीदों का, देश भक्तों की मंजिल, स्वाधीन भारत का झंडा लहराने लगा' जैसे गाने गाते थे। रामवृक्ष की कॉलोनी में हर सब्जी 5 रुपए किलो बिकती थी।

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इसके लिए रामवृक्ष सब्सिडी देता था। बाग में मर्सडीज जैसी महंगी गाड़ियां थीं। कैम्पस में कई जगह गड्‌ढे करके हथियार छुपाए गए थे।

एक समानांतर सरकार चला रहा था रामवृक्ष

- पुलिस को मिले डॉक्यूमेंट्स बताते हैं कि रामवृक्ष का अपना एक ज्यूडिशियल सिस्टम था। उसका अपना एक कॉन्स्टिट्यूशन, पीनल कोड, जेल और कई हथियारबंद 'सैनिक' थे।

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अफसरों की मानें तो रामवृक्ष, 260 एकड़ के इस इलाके में अपनी समानांतर सरकार चला रहा था।

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रामवृक्ष का ये भी प्लान था कि कैम्प में रह रहे लोगों को मार दिया जाए और उसका आरोप पुलिस पर मढ़ दिया जाए।

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जितने लोग जवाहर बाग में रामवृक्ष के कैम्प में रह रहे थे, उन सबका रिकॉर्ड मेनटेन किया जा रहा था। इसमें उनका मोबाइल फोन नंबर, फोटो और दूसरी डिटेल थीं।

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मथुरा जोन के आईजी सी. मिश्रा के मुताबिक, 'लोगों को बाहर आने-जाने की इजाजत नहीं थी। बाहर जाने और अंदर आने के लिए पास लगता था।'

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मिश्रा कहते हैं, 'यह कोई सामान्य धार्मिक उन्माद का मामला नहीं है। हम नक्सली एंगल से भी जांच कर रहे हैं।'

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